अपने ‌मन से पूछो | मन की कोमलता मत खोना | खालीपन इस दुनिया का

अपने ‌मन से पूछो | मन की कोमलता मत खोना | खालीपन इस दुनिया का | 

अपने ‌मन से पूछो
कुछ भी करने से पहले
पर ये चंचल प्रकृति का है
इसे शान्त कर के ही पूछना होगा
फिर ये खुद ही आत्मस्वरुप हो उत्तर देगा
बस फिर निश्चिंत हो वही करें , उत्तम होगा।
– Madhu Khare


मन के जीते जीत है,
मन के हारे हार,
कुछ भी करने से
पहले अपने मन से पूछो।
– Anita Gupta


मन से पूछो अपने जीवन का लक्ष्य।
वह तुम्हें तुम्हारा लक्ष्य ही नहीं,
उसे प्राप्त करने का रास्ता भी बता देगा।
– Kavita Singh


कितने अच्छे हो तुम,
कभी ये अपने मन से पूछो,
कितनी परवाह करते हो तुम,
कभी ये अपने दिल से पूछो,
साँस साँस में नव प्राण भरें,
कभी ये अपनी धड़कन से पूछो,
अरे,यारों कभी पूछ भी लिया करो,
अपने यारों का हालचाल पर…
शर्त यह है कि ये अपने मन से पूछो।
– Rajmati Pokhran Surana


मन है एक नादान परिंदा,
भूल कर जीवन का प्रतिरूप
फंस जाता लोभ-क्रोध के जाल में ।।
– Sarvesh Kumar Gupta


अपने मन से पूछो
जो जिम्मेदारी तुम्हें सौंपी गई थी
कितनी ईमानदारी से तुमने निभाई
क्या स्वार्थ से परिपूर्ण नहीं थे तुम ?
क्यों किया तुमने ऐसा ?
जिन्दगी ने क्या कमी रखी थी तुममें ?
क्यों अपनों के विश्वास को इतना बड़ा धोखा दिया ?
क्या वही गलत थे , तुम नहीं ?
एक बार अपने अंतस को खंगालो
फिर दुसरों पर इल्जाम लगाना ।।
– Manju Lata


पहले चिंतन करो फिर अपने मन से पूछो
तुम्हारा मन मन्नतों से मुक्त उन्मुक्त गगन में विचरण
या कामनाओं की बढ़ती सलाखों में छटपटाना चाहता है
तुम्हारा मन प्रकृति के सुरम्य संगीत में रमण ,या
दूर बजते ढोल जैसे कृत्रिम राग में सुख पाना चाहता है
अपने मन से पूछो।
– Neeti Jain


मन का हो तो अच्छा
न हो तो भी अच्छा
अपने मन से न पूछो कुछ
अपने मन का करो बस
होगा सबका भला
– Mukesh Bhatnagar


मन अनभिज्ञ नही तुमसे
जाने क्यों छुपा रही हो?
ढलान पर ही चलती हो,
अरे ओ उतरती जिंदगी!!
..क्यों छुप रही हो ?
– Sarvesh Kumar Gupta


ये चित्र है जनाब , जो दरसा रहा है जुनून बेहिसाब
चाहे कैसा भी वक्त हो , कभी न हारो मुश्किलों से
बयाँ कर रही है ये तस्वीर ।।
– Manju Lata


भुला कर जी का जंजाल,
चलते रहो, चलते रहो।
निराशा में आशा को भरते रहो,
चलते रहो, चलते रहो।।
– Sarvesh Kumar Gupta


रुक गया है भँवर,
सो गया है शहर
थम गया है बबंडर।
– Anita Gupta


कमल कीचड़ में खिलता है परंतु अपनी कोमलता वह कभी नहीं खोता।
इसी तरह कितनी भी मुश्किलें आएँ, मन की कोमलता को कभी मत खोना।
– Kavita Singh


चाहे लाख मुसीबत आये जीवन में,
चाहे लाख उतार चढ़ाव आये जीवन में,
चाहे लाख दीवारें खींच जाये जीवन में,
चाहे लाख बार झुकना पड़े जीवन में,
चाहें लाख दर्द हो खुद के जीवन में,
अपने मन की कोमलता मत खोना,
सहजता, सरलता रखना हर पल,
अपनों से कभी दूर तुम मत होना।।
– Rajmati Pokhran Surana


मन की कोमलता मत खोना
नहीं तो सदैव दुत्कारे जाओगे
घर , परिवार , समाज अगर एक बार नजर घुमा लेगा
तो सदैव के लिए अस्तित्व अपना खो बैठोगे ।।
– Manju Lata


मन की कोमलता से,
सपने होते चकनाचूर ,
सूकून से जीना भी नही ।
किसे बतायें दुख दिल का?
– Sarvesh Kumar Gupta


कितना भी क्रोध आये
कितना भी अपमान हो
पर मन की कोमलता मत खोना।
– Anita Gupta


बादल उठा…..हवा हो लिया,
दिन विदा दे शाम को विराम,
भटकती रात भी चलती बनी,
उभरा सूरज..देखे नया मोड़,
…….सुप्रभात!!
– Sarvesh Kumar Gupta


अंदर ही अंदर मार गया मुझे,
खालीपन इस दुनिया का,
खोखला कर दिया तन से मुझे,
खालीपन इस दुनिया का।
बहुत चाहा था सबको हमने,
की बहुत परवाह सबकी मैंने,
छोड़ दिया अकेला राह में मुझे,
बहुत रूलाता है मुझे अब,
खालीपन इस दुनिया का ।।
– Rajmati Pokhran Surana


खालीपन इस दुनिया का
मेरे आत्मविश्वास को तोड़ गया
मेरे जीने का मकसद खत्म कर दिया ।
– Manju Lata


हर दिन जागता हूँ ,
देखता हूँ जिंदा हूँ,
जिंदगानी से खाली हूँ,
खालीपन भरने लड़ता हूँ,
..न हारूँगा उम्र भर ..!!
– Sarvesh Kumar Gupta


खाली दिमाग शैतान का घर होता है
खालीपन दुनिया का सबसे बड़ा अभिशाप है।
– Anita Gupta


अगर निस्वार्थ प्रेम का बीजारोपण हर हृदय में किया जाएगा
प्रेम के अंकुर वटवृक्ष बन जा जाएंगे चतुर्दिक, खालीपन इस दुनिया का भर जाएगा।
– Neeti Jain


ख़ालीपन दुनिया का इंसानियत से भर दो।
हो सके तो दूसरों के आँसू मुस्कुराहट में बदल दो।
– Kavita Singh


आज का दौर है कुछ ऐसा
रिश्ते – नातों से ऊपर है पैसा
जब जरूरत होती है, तो कोई नहीं होता साथ
अब नहीं थामता मुश्किलों में कोई अपना हाथ
हर किसी को सताता है खालीपन इस दुनियां का
पर फिर भी कोई नहीं देता अब साथ किसी का ।।
– Nutan Yogesh Saxena


लेखकों की अभिव्यक्ति का माध्यम किताबें..
मनुष्य के विकास का स्रोत किताबें..
सबसे अच्छी मित्र किताबें ।।
दीवारों से बातें तो दीवारें ही सुने!
– Sarvesh Kumar Gupta


समय की अपनी सीमा है
नारी ममता ,कर्मठता
व्यक्तित्व और कृतित्व में
संतुलन रखती, जीवन रेखा है।
– Neeti Jain


सुपरमाॅम की इतनी है कहानी
दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाने की है ठानी
लेकिन अपने मातृत्व से ना जरा भी करती बेईमानी
उसकी संतान पर जरा सी भी आंच आ जाए
बन जाती है मर्दानी।
– Ritu Jain


चाहे जिन्दगी में हो कितनी ही आपाधापी
लेकिन हर पल को बखूबी निभाती स्त्री जाति
बच्चे के लालन पालन से लेकर खाना बनाना
लैपटाप पर घर आफिस का काम या
दुनिया में किसी से जरूरी बात
हर काम बड़ी ही मुस्तैदी से निभाती
तभी तो वह नारायणी कहलाती ।।
– Manju Lata

You May Also Like To Read 

Leave a Comment