कोई किसी का नहीं | मन को इतना सुंदर बनालो

कोई किसी का नहीं | मन को इतना सुंदर बनालो
कोई किसी का नहीं | मन को इतना सुंदर बनालो

कोई किसी का नहीं होता
कहने को सब अपने होते हैं
बात चली जब अपनों की
स्वार्थ के इस दौर में…
बस सपने ही अपने होते हैं।
— Ruchi Asija


इस मतलबी दुनिया में,कोई किसी का नहीं होता
अपनेपन का मुखौटा लगाए लोग दूसरों को ही दोष देता है
वक्त के साथ ही यह अहसास भी करा देता है
कभी, बेगानों में भी अपनों की झलक दिखा देता है!!
— Pushpa Pandey


कोई किसी का नहीं, किसी को कोई फर्क नहीं
खुद को काबिल बनाओ यहां , ढूंढो पतवार नहीं
किनारे, मंजिलें और शौहरतें खुद मिल जायेगी
जब हौसलों मे नियत साफ रखी जाएंगी !
— हरमिंदर कौर


चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला
यहाँ कोई किसी का नहीं
ओ राही चल अकेला
इस मतलबी दुनिया में
वक़्त के साथ लोग भी
बदल जाते हैं एक कदम
आगे बढ़ा कर तो देखो
शोहरत खुद ब खुद मिल जायगी।
— Anita Gupta


कोई किसी का नहीं! अकेले ही आए हैं, अकेले ही जाना है।
किसी के काम आ जाएं, बस मानवता का फ़र्ज़ निभाना है ।
— Kavita Prabha


आज दर्पण के रूबरू जो खुद को पाया हैं
अपनी शक्ल को ही न पहचान पाया हैं
वो जो बारीक़ सी उम्र कि रेखा
आँखों के नीचे खींच आयी हैं
हजार कहानियां, अनगिनत जिम्मेदारियां
खुद में समेटे दर्पण से बातें करती हैं!
कहाँ छोड़ आयी हो खुद को
ये सवाल बार बार मुझसे पूछती हैं!
जाती हुई उम्र कि लड़ियाबचपन को तलाशती हैं
वो गुड़ियों से खेलने वाली लड़की
अपनी शख्सियत तलाशती हैं
दर्पण के रूबरू ज़ब वो खुद को पाती हैं!
तमाम शिकायतों का जमावाड़ा
खुद में समेत कर खुद से ही ये सवाल करती हूँ
ऐ आईना जरा ये तो बता
वो खुद से ही खोई हुई राधा कहाँ हैं?
— Radha Shailendra


जहाँ उम्मीद नहीं होती,
वहाँ नकारत्मकता अधिक बलवान होती है
लेकिन ऐसे अंधेरे में भी एक हल्की सी लौ
विजयोत्सव की उम्मीद जगाती है।
— Manju Lata


जहाँ उम्मीद नहीं होती
ये प्यार वहीं पे मिलता है
बेकद्रों की दुनिया में जज्बात
बाजार में मिलता हैं
हम शिकवा करें तो किससे करें
ये दर्द अपनों से ही मिलता हैं!
— Radha Shailendra


जहाँ उम्मीद नहीं होती
वहाँ भी आशा की किरण होती है
बस कदम आगे बढ़ाते जाओ
मंज़िल सामने होती है।
— Anita Gupta


जीवन के डगमगाते पल में भी जिंदगी हसीन होती है
जरूरत है तो बस एक हौसले की फिर तो
मंज़िल भी वहीं पर मिलती है,
जहां से कोई उम्मीद नहीं होती!!
— Pushpa Pandey

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