अंदर का सन्नाटा बोले हँस लो चाहे कितनी भी
ज़ोर से मुझे फर्क नही पड़ता,
मुस्करओगी जब दिल से तब मैं हन्सुगा।
अंदर का सन्नाटा बोले खुश कितना भी हो लो
आज दुनिया के सामने, कोने में जा कर जब
आँखए नम होगी तब मैं जार जार फूटूगा।
अंदर का सन्नाटा बोले खुद को खुद में ढूढो गी,
करोगी जब तुम खुद से प्यार,
उस दिन मै तुम्हे छोड कर चला जाऊंगा ,मैं भर जाऊॅगा।
— Veena Garg
अंदर का सन्नाटा बोलता है
शायद दिल में शोर बहुत पलता है
तुम बोल दो सब गिला ही मिट जाऐ
तुम्हारा खामोश हो जाना मुझे खलता है
— Ritu Mishra
जब भी दिल रोता है ,
अंदर का सन्नाटा बोलता है,
बहुत दर्द होता है,
जब दिल उसके राज़ खोलता है।।
— Rajmati Pokharna Surana
मौन हूं स्तब्ध हूं और निःशब्द भी
परेशानियां भरी है दिल में
इसे कह भी नहीं सकती
लब सिल चुके हैं मेरे, बयां कर नहीं सकती
अल्फाजों को तो ये बड़े अच्छे से तौलता है
मैं कुछ नहीं कहती ,मेरे अंदर का सन्नाटा बोलता है!
— Pushpa Pandey
शांत हिय गंभीर सिंधु सा,
निस्तब्ध और निःशब्द सा डोले।
आँसू बन जब बहे आँख से,
अंदर का सन्नाटा बोले।
— Ruchi Asija
यूँ चुपचाप क्यों बैठे हो?
क्या सोच रहे हो?
इतने मौन औऱ निशब्द क्यों हो?
जब भी परेशान होता हूँ
अंदर का सन्नाटा बोलता है
औऱ धीरे धीरे सारे राज
उजागर करता रहता है।
— Anita Gupta