मन हमको छल जाता है | हुनर बेकार नहीं जाता  

मन हमको छल जाता है | हुनर बेकार नहीं जाता

चारों तरफ छाई है हरियाली
शांति की लहर है लहराई
ऐसे में किताब पढ़ना लगे बड़ा ही प्यारा
तभी तो….
किताब की लेखनी में है खोई
भूल गई जमाना सारी ।।
– Manju Lata


मन हमको छल जाता है | हुनर बेकार नहीं जाता  
मन हमको छल जाता है | हुनर बेकार नहीं जाता  

जब से कलम से दोस्ती हुई है,
बड़ा सकून मिला है रूह को,
बात भी कह देती है बेखौफ होकर
और शोर भी नहीं करती…..
– Mamta Grover


प्रकृति आरंभ से अतिसुंदर ,
मनुष्य अपने आप से सुंदर ।
– Sarvesh Kumar Gupta


जिन्दगी एक सफ़र है सुहाना,
इस सफ़र में है अहसासो का खजाना।
चलते चलते थक जाओ तो बैठ जाओ ज़रा,
लिख लो अपने सफ़र का बयाना।
जो खास मिले उन्हें याद कर मुस्करा लो,
लिख लो दिले अफसाना।
जिन्दगी एक सफ़र है सुहाना, इसमें है चलते जाना।
लेकिन रुक रुक कर आस पास देखते जाना,
बैठते जाना, लिखते जाना, इस खूबसुरत सफ़र में जो समेटा है
उसे अपनों के लिये छोड जाना।
– Veena Garg


कलम और लफ़्ज़ों का गर सहारा ना होता….
जिंदगी का मंज़र इतना प्यारा ना होता…
–Mamta Grover


ऐ गुमशुदा दिल आज फिर ढूंढने निकली हूँ तुम्हें,
तन्हाई ने मेरे जज़्बातों को अल्फाज़ दी,
हरियाली के दामन ने सुकून के दो पल देकर ,
चेहरे पर मुस्कान की वजह दे डाली ।

है शुक्रिया मेरे मालिक अकेले होकर भी
मुस्कराने की वजह दी,
ख़यालों में सपने दिए और
हाथों में मुकम्मल करने की ताकत अदा की।
– Shilpa Vineet


न हमने शब्दों को ज़ुबाँ बख्शी…..
न तुमने अनकही समझी….
फिर आज कुछ लम्हें मेरी डायरी का हिस्सा हो गए…
– Mamta Grover


Chalo daastan suhaani likhte hein
Aaj in bezubaano ki zubaani lekhte hein..
In pedh podhon ki mehek humien behlaati he
Thandi pawan inhe chukar humien bhi
Mehkaa jaati hai…
Maana inke ghar sanaata hai
Par ye khaamoshi ki duniya
Mujhe sukoon delaati he..
Ye khoobsurat se ehsaas mein
Lugtaa hai maanon…
Inki ye khamosh duniya
Baatein kayi kehna chahti hai….
– Sahiba Takkar


प्रकृति की गोद में बैठ कर कुछ
लिखना हंसना गुनगुनाना सुनना
यह सब एक अलग ही अनुभव होता है
जो हमें प्रकृति के और करीब ले जाता है
और हमें जिंदगी से प्यार करना भी सिखाता है।
– Ritu Jain


आज अचानक से तेरी बहुत याद आई,
सोचा अपने जज्बातों को डायरी
में उतार लूँ
कुछ भीगे भीगे अहसास, कुछ
मिलने की आस
सब कुछ डायरी में समेट लूँ।
– Anita Gupta

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