न किसी और का इंतजार है,
जरा भी नहीं है अकेलापन
मैं मेरे खूबसूरत अहसास और ये निर्जन सघन वन
भीतर और बाहर सब ताजगी से भरा हरियालापन
प्रकृति मां की गोद में ही रमता है रीझता है मेरा मन।
– Neeti Jain
मानव मन बड़ा ही चंचल है
मन हम को छल जाता है ।
प्यासा मन व्याकुल होकर
दिग्भ्रमित हो जाता है।
दूर दिखता पानी का स्रोत
पास जाने पर मृगतृष्णा
बन जाता है।
उड़ान अगर भरनी है
अपने पंखों को खुलकर
फैलाओं ।
इच्छाओं को साकार करो
मन न हम को छल पाये अब।
– Mridula Singh
कभी शांत ताल सा स्थिर,
उत्श्रृंखल नदी सा अगले क्षण
कभी लगे विश्रांत पथिक,
कभी उड़ता जाए ज्यों मस्त पवन
मस्तिष्क मेरा संग दौड़ थके ,
इस घोड़े पर अंकुश रखना चाहता है,
सूखे को हरियाली दिखाकर,
मन हम को ही छल जाता है।
– Neeti Jain
जब सपने आँखों को जगाते हैं…….
जब सब अपने हो जाते हैं……..
जब कुछ खोने से हम घबराते हैं…..
ये वही पल है जब मन हमको छल जाता है…….
यही उन्मुक्त जीवन कहलाता है!
– Seema Bhargave
छ्लीया मन मोरा,कभी कभी छल जाता है ।मुझे नये नये सपने दिखा फिर तोड जाता है ।उसे क्या पता मैं उन सपनों में रोज ईक नयी जिंदगी जीती हूँ।सपने हैं तो उम्मीद है,खुशी है,इन्तजार है नये कल का।छ्लीया मन मोरा,तू मुझे छलता या मैं तुझे क्या पता।
– Veena Garg
मन कोमल है, निर्मल है
मन पवित्र है, मन ही हमें जिताता है
पर मन चंचल है, कभी कभी
हमको छल जाता है।
– Anita Gupta
कुछ करुँ तो मन आज नही कल पर जाता है,
क्यूँ वक्त हर लम्हा मुझे निकल कर जाता है,
करुँ कितना भी अच्छा बुराई मिलती है मुझे
अच्छा करुँ या ना करूँ मन हमको छल जाता है। ।
– Rajmati Pokhran Surana
जीवन की हर डगर पर देखो,
ये मन ही तो छल जाता है,
अच्छी पढ़ाई, अच्छी कमाई
बच्चे भी हमारे हों अच्छे
यही छलावा यही तो दिखलाता है ,
ये मन ही तो छल जाता है।
– Rani Nidhi Pradhan
प्यार मन से करके
दिमाग दरकिनार कर
साथ जुड़ने की प्रेरणा
सब कुछ भूल करके
– Sarvesh Kumar Gupta
हौंसला कर, फैसला कर।
कठिन कितनी भी हो डगर,
हुनर को अपने निखार कर,
बढ़ते ही जाना है क्योंकि
हुनर कभी बेकार नहीं जाता।
– Kavita Singh