वक्त के साथ लोग, मिलता है बहुत कुछ जिंदगी में मगर, इम्तिहानों से गुजरकर, खुद को साबित करना, खेतों की पगडंडियाँ,
मिलता है जिंदगी में बहुत कुछ मगर
कुछ ख़्वाब अधूरा रह जाता है
इन ख्वाबों से जीवन की राह सजानी पड़ती है
फिर नए हौसले के साथ ,सपना भी पूरा हो जाता है।।
— Pushpa Pandey
Milta hai zindgi main bahut kuch
Magar khahishe badti jati hain
Aur bhi jyada ki kamna se
Santushti nahi hoti hai.
— Anita Gupta
मिलता है बहुत कुछ जिंदगी में मगर,
उस पर कोई ध्यान नहीं जाता
जो नहीं मिल पाता उसे पाने के लिए
मृग मारिचिका की ओर भागा जाता
जीवन में संतोष ज़रूरी है,
इसलिए जो मिला उसे स्वीकार करो
स्वयं अच्छे कर्म करो ओर जितना हो सके उतना ही परमार्थ करो
धन्यवाद उस ईश्वर का जो सबको देता नहीं थकता है
जो कुछ भी मिला है जीवन में,
उसका हर वक्त आभार प्रकट करो
— Amarjeet Kaur Matharou
मिलता है बहुत कुछ जिंदगी में मगर
हमे जो मिलता है हम उसकी प्राप्ति में ही समाप्ति कर लेते हैं
फिर नई ख्वाहिशें , नई इच्छाएं हमारी खुशियों को कम कर देती हैं।
हर पल हर क्षण अगर हम धन्यवाद दें ईश्वर का तो हमारा जीवन खुशियों से भरा ही रहेगा।
बहुत दिया देनेवाले ने तुझको आंचल ही न समाए।
— Madhu Khare

मिलता तो बहुत कुछ ज़िन्दगी मे मगर,
दिल की चाहत हमेशा अधूरी रहती है।
हर वक्त कुछ ज्यादा पाने की हसरत,
दिल की यही तो हमेशा ख्वाहिश रहती है।।
— Rajmati Pokharna Surana
मिलता है बहुत कुछ ज़िंदगी में मगर चाह ख़त्म नही होती ,
रोज़ नए पड़ाव पार होते है ,
पर राह ख़त्म नही होती.
आँगन के कुँए में काई दिखती है ,
और समंदर देहरी पर भी आ जाए तो प्यास नही बुझती .
जो मिल गया उसमें सुकून नही ,
जो ना मिला उसे पाने को आँख है तरसती.
तय कर लो …कोई तो ऐसा मुक़ाम आए ,
जहाँ करे रब का शुक्राना और सब्र हो जाए .
इंसान की है ही कुछ ऐसी हस्ती ,
पेट भर भी जाए पर भूख नही मरती.
— Babita Chouhan Pawar
खाली हाथ जन्म
खाली हाथ मरण
जिंदगी है जीना
बचपन, जवानी, बुढ़ापा
गूंजती रहती यहाँ यादें
न होती यहाँ यादें तो
क्या याद करके जीते?
— Sarvesh Kumar Gupta
इम्तिहानों से गुजरकर ही जिंदगी की
असली पहचान होती है
मिलती है मंज़िल भी उन्हें ही
जिनके हौसलों में उड़ान होती है !!
— Pushpa Pandey
इम्तिहानो से गुजर कर ही,
जिन्दगी सोना बनती है।
आदमी की पहचान बनती है।।
— Rajmati Pokharna Surana
रोज़ करते है शिकायत अकेले हम
इन इम्तेहानो से गुज़रकर।
पता नहीं क्या सोचा है खुदा ने
मज़बूत बन जाए या टूट जाए बिखरकर।
तू भी लेती जा इम्तिहान ए ज़ीन्दगी,
खड़े है अब तो हम भी तूफानों में कश्ती डालकर।
— Dipali Jadhav