संकोच है किस बात का | जाना पहचाना लगता है

संकोच है किस बात का | जाना पहचाना लगता है

यह कभी भी कम सच नहीं है कि यह मुश्किल दिनों में से एक है, हम उन चीजों पर काम करने की कोशिश करते रहते हैं जो अब हमारे लिए काम नहीं कर रही हैं। हम इतनी मेहनत कर रहे हैं कि इसने हमारी आखिरी बचाई हुई ऊर्जा और चिंगारी को खत्म कर दिया। और शायद हमें बस समय निकालने की जरूरत है। विश्राम। साँस लेना। प्रकृति के साथ रहो- इसकी गंध, इसकी आवाज, इसका दृश्य, और इसका स्पर्श जो कुछ भी खाली किया जा रहा है उसे भर देगा। जब तक हम अंत में अपना रास्ता खोजने के लिए एक और ताकत हासिल नहीं कर लेते, तब तक यह हमें ले जाता है।
और फिर, हम जीत जाएंगे, फिर संकोच किस बात का।
– Dr Venugopalan


क्यों अपनी जिंदगी की खुशियाँ को हम नज़र अंदाज़ करे,
नहीं है धन सम्पदा तो हम संकोच किस बात का करें,
जैसे भी है हम अच्छे है यह भावना दिल में रखें सदा,
दूसरों की देखा देखी में क्यों खुद को बर्बाद करें। ।
– Rajmati Pokharna Surana


अपना कर सहजता, सरलता, सकारात्मकता ,
होगा रंग जीवन का…सुन्दर.. सुन्दरतम् !!
– Sarvesh Kumar Gupta


संकोच है किस बात का , ये तुम बस समझ लो,
हो जाए गलती गर कर कबूल
तुम बढ़ चलो।
सीखने निकला है मानव हो गई कुछ गलतियां,
गलतियों को मानने में संकोच है किस बात की ?
संकोच कर न कुछ बोलोगे , खो दोगे तुम सब वहीं
कह कर दिल की बात अपनी
साफ कर लो मन को
जिस कर्म से मिलती है सुकून हमें
उसे करने में संकोच है किस बात की ?
– Rani Nidhi Pradhan


इंसान हो तुम भगवान नहीं,
गलतियां तो होगी ही।
गलतियां अपनी समझ जाओं तो,
क्षमा मांगने में “संकोच है किस बात का “।
यह तुम्हें महान बनायेंगा,
तुम्हारे सरल चरित्र को दर्शायेगा ।
– Mridula Singh


उम्मीदों-की-खिड़की-कभी-अगर-मैं-रूठ-जाऊं-खोजने-से-मिल-जाता-है
संकोच है किस बात का | जाना पहचाना लगता है

संकोच है किस बात का,
रास्ता तेरा मंज़िल तेरी।
स्वप्न अपना पूरा कर,
मेहनत तेरी सफलता तेरी।
– Kavita Singh

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