कुछ अनकहे रिश्तों मे-
ये रिश्ता जाना पहचाना लगता है।
कोई अनजान सा चेहरा-
अपना सा लगता है।
ना जाने कौन सा ये रिश्ता है?
जो अजनबी कोई ख़ास सा लगता है।
दूर होते हुए भी ,दिल के क़रीब रहता है।
कैसा दिल का दिल से ये रिश्ता है?
मन ही मन उससे संवाद होता है।
हाल ए दिल उससे बयान कर लेते हैं।
पर उससे मुख़ातिब हम नही होते हैं…..
– Pratibha Ahuja Nagpal
मन अगर मिल जाएं तो लगता है जाना पहचाना,
वैसे तो अपने भी बेगाने लगते हैं ,
बिताई थे बचपन के वो दिन जहां
वह आज भी जाना पहचाना लगता है।
जहां दिल मिले, भाव मिले और मन को मिलती है शांति
सच कहूं तो वे सभी अपना पहचाना लगता है।
– Rani Nidhi Pradhan
करोड़ों की भीड़ में कभी ऐसा भी चेहरा मिल जाता है
जो बड़ा ही जाना पहचाना लगता है।
नजर उस पर से हटती नहीं ,
बात करने को जी मचलता रहता है ।
– Manju Lata
आना जाना रहे आसान
जब हो रास्ते की पहचान
– Sarvesh Kumar Gupta
मंजिल पाने के लिए,
सपनों को सजाने के लिए,
उम्मीदों की खिड़की सदा खुली रखना,
न उसे कभी अहम रूपी परदे से ढकना,
उम्मीद खुद बखुद सीख जाएगी पनपना,
फिर जिंदगी में सफलता का स्वाद आनंदमय होकर चखना
— Mamta Grover
उम्मीद की खिड़की सदा खुली रखिये,
ख्वाहिशो की चाह सदा बनायें रखिये,
उम्मीद, आस विश्वास पर दुनिया चलती है,
सपने पूरे हो मन में सदा दृढ़ निश्चय रखिये।।
— Rajmati Pokharna Surana