उम्मीदों की खिड़की से दुनिया देखी है……..तभी तो यहाँ तक आए हैं…….वर्ना तुम क्या जानो…..इस दिल ने कितने ज़ख़्म पाए हैं…….निराशा मारती थी…….उम्मीद मुझे ज़िंदा रखे थी…….हाँ इस उम्मीद की खिड़की ने मुझे कितने सपने दिखाए हैं|
— Seema Bhargave

जब हर तरफ अंधकार छाया हो
कहीं कोई किनारा ना दिखाई दे
तब खिड़की से आती आशा की किरण
उम्मीद की रौशनी दिखा जाती है।
— Anita Gupta
देख किरण उम्मीद की,
चलो चलें मंजिल की ओर।
— Sarvesh Kumar Gupta
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