कुछ बिखरी यादें, कुछ बिखरे पल
कुछ बिखरी यादें, कुछ बिखरे पल मुट्ठी भर राख और कुछ बिखरी यादें रह जाती हैं जो रह रह कर हमें आंसुओं में भिगो जाती हैं| कागज़ की कश्ती, रेत के घरोंदे बनाते बचपन बीता, बस यादों में सिमट के रह गए मेरा बचपन के अफसाने| हर बीता लम्हा कभी ख़ुशी, कभी गम तो … Read more