आईना कहता है | उम्र

आईना कहता है | उम्र

आईना कहता है | उम्र बढ़ती उम्र के साथमन बूढ़ा नही होताइच्छायें नही मिटतीसीखने की प्यास नही बुझतीइन बूढ़ी आँखों मेभले चश्मे की दीवार चढ़ गई होपर दुनिया से बेख़बर हो जाएँऐसी इनकी इच्छा नही … Read more

आशाएं | कहते हो वक्त नहीं है | ऐसे ही जिये जाने को दिल करता है

आशाएं | कहते हो वक्त नहीं है | ऐसे ही जिये जाने को दिल करता है

आशाएं |  कहते हो वक्त नहीं है | ऐसे ही जिये जाने को दिल करता है आशाओं के समंदर में चलो डूब चलें।नई उम्मीदों के पर लगा कर चलो उड़ चले।ज़िंदगी तो इम्तिहान लेती रहेगी-हार … Read more

तेरा मेरा नाता जैसे, tere mere naata jaise

तेरा मेरा नाता जैसे

तेरा मेरा नाता जैसे तेरे मेरे नाता जैसेजन्मों का नाताकहते अक्सर दम्पत्तिपर मैं कहताजहां नहीं है तानावहीं बनता है नाताताना बाना बनाए रखोजीवन में बहार लाए रखोयही है बस मेरा कहना-मुकेश भटनागर तेरा मेरा नाता … Read more

कुछ इस तरह बदली पहर ज़िंदगी की ,सरसों की शाख़ पर , एक पंखुड़ी उठाकर

कुछ इस तरह बदली पहर ज़िंदगी की | सरसों की शाख़ पर  | एक पंखुड़ी उठाकर

कुछ इस तरह बदली पहर ज़िंदगी की | सरसों की शाख़ पर  | एक पंखुड़ी उठाकर कभी नमकीन ,कभी मीठी,कभी खट्टी कभी कड़वी भी हो गई।कुछ इस तरह बदली पहर ज़िंदगी की।-इला पचौरी दहलीज दिल … Read more

अच्छा होने की कठिनाई , विचार जिसने मुझे कल रात जगाए रखा

अच्छा होने की कठिनाई | विचार जिसने मुझे कल रात जगाए रखा

अच्छा होने की कठिनाई | विचार जिसने मुझे कल रात जगाए रखा अच्छा होने की कठिनाई | विचार जिसने मुझे कल रात जगाए रखाअच्छा होने की कठिनाई | विचार जिसने मुझे कल रात जगाए रखाअच्छा … Read more

नवरात्री Poems And Micropoetry

नवरात्री Poems And Micropoetry in Hindi

नवरात्री Poems And Micropoetry in Hindi शक्ति स्वरूपा ‌मैं समस्त विकारों का संहार करने की क्षमता रखती हूं।काम, क्रोध,लोभ,मोह, अहंकार जैसे असुर मेरे शस्त्रों के आगे थर्राते हैं।निर्मलता, पावनता, प्रेम,आनंद और शांति ही मेरे निजी … Read more

कोई भी दर्द इतना बड़ा नहीं, ज़िन्दगी

कोई भी दर्द इतना बड़ा नहीं | ज़िन्दगी

कोई भी दर्द इतना बड़ा नहीं | ज़िन्दगी कोई भी दर्द इतना बड़ा नहींजमाने का गम भी बुरा नहीं,अपने ही अपनों के होते दुश्मन,इससे बडा कोई धोखा नहीं। ।-डाॅ राजमती पोखरना सुराना ममतामयी मां…….पहली औलाद … Read more

कविताएँ: जिस दिन मेरा विश्वास डगमगा गया | प्रकृति | संगीत

कविताएँ: जिस दिन मेरा विश्वास डगमगा गया | प्रकृति | संगीत

कविताएँ: जिस दिन मेरा विश्वास डगमगा गया | प्रकृति | संगीत कितना भरोसा है मुझे तुमपरखुद से कहीं ज्यादामत करना दगा मुझसेजिस दिन मेरा विश्वास डगमगा गयासमझ लेना ईश्वर पर से आस्था टूट गया।-मंजू लता … Read more