आज फिर उस मोड़ पर मुड़ना हुआ
-रंजीता नाथ घई आज फिर उस मोड़ पर मुड़ना हुआ… आज फिर उस मोड़ पर मुड़ना हुआ जब रखा था पहला कदम मैंने इस देहलीज़ पर….. मन में डर और एक अजीब सी बेचैनी थी, नए थे गलियारे और नयी सी दीवारें थी, थम सी जाती थी हँसी और कशमकश से जूझती थी, फिर दिखी … Read more