अतिथि Post: Naresh Thadani-बैठे बैठे
अतिथि Post: Naresh Thadani-बैठे बैठे बैठे बैठे बैठे बैठे मैं… इक खयाल बन जाता हूँ। जिसका कोई जवाब नहीं… मैं वोह सवाल बन जाता हूँ। नफरत और प्यार के बीच की उस डोर का मैं.. अदभुत बवाल बन जाता हूँ। अनसुलझी गुत्तियों का मैं.. क्रूर जंजाल बन जाता हूँ। दुखती रत पे हाथ रख के … Read more