धर्म के आड़ में
धर्म की आड़ में मुँह में रामनाम है, और हाथ में जाम है कहीं अल्लाह, कहीं राम, कहीं ईसा मसीह है, कहीं राम है धर्म की आड़ में क़त्ल कर रहा इंसान है कभी … Read more
from thoughts to poetry
धर्म की आड़ में मुँह में रामनाम है, और हाथ में जाम है कहीं अल्लाह, कहीं राम, कहीं ईसा मसीह है, कहीं राम है धर्म की आड़ में क़त्ल कर रहा इंसान है कभी … Read more